Saturday, May 6, 2023

मशवरा

‌                  मशवरा

                                   डॉ पापुलर मेरठी

जिंदगी की राह में बेकार रहना है गुनाह

 मुझसे अब देखा नहीं जाता तेरा हाले तबाह 

कोई बुजदिल का   नहीं होता जहां मैं खेरखुवाह

 मौत की वादी में खो जाना है रुसवाई की राह 

खुदकुशी के वास्ते तैयार क्यों है कुछ तो कर

 ऐ मेरे लख्ते जिगर बेकार   क्यों है कुछ तो कर 


तू बबूलो की कटीली शक़ पर बेले  लगा

 जंगली बूटी पे करके तबसरे मेले लगा

 कुछ ना बन पाए तो फिर बाजार में ठेले लगा

 संतरे या सेब या अंगूर या केले लगा

 जिंदगी की राह नाहमवार क्यों है कुछ तो कर


 ए मेरे लख्ते जिगर बेकार क्यों  कुछ  तो कर 


ये जता दे आपके बेकारी में तू है बेमिसाल 


 मार के  डिगें  दिखा दे बे कमाली का कमाल

 सबके ज़हनों पर बिठा दे हुस्ने मुस्तकबिल का जाल 


तू नजूमी बनके यारों को बता किस्मत का हाल


 इस कदर मायूस ना चार क्यों है कुछ तो कर

 ऐ मेरे लख्ते जिगर बेकार क्यों है कुछ तो कर


 हर मर्ज का सिर्फ है ताविज से मुमकिन इलाज 

देखिए जिसको भी सूफी जी का दीवाना है आज 

गरदिशे आयाम खुद अपना बदल देगी मिजाज 
 क्या अजब भर दे तेरा दामन  अकीदत का खिराज  

्मुफत में रुसवा सरेबाजार क्यों है कुछ तो कर


 ए मेरे लख्ते जिगर बेकार क्यों है कुछ तो कर 


ले के चले रोज़ाना  चंदे की रसीद  हाथ में 

तुम कहीं भी झोल  आने दे ना  अपनी बात में

 रोशनी की जब जरूरत हो अंधेरी रात में 

काम कुछ करने  से बेजार क्यों है कुछ तो कर

 ए मेरे लख्ते जिगर बेकार क्यों है कुछ तो कर

कौन कहता है कि तू यू मुफलिसी का ग़म उठा

बनके नेता कौमी य़कजहती का तू परचम उठा

नाज़ जनता का हर इक आलम  में तू पहम  उठा
रहबरी  का फायदा जाईद उठा या कम उठा
खुद ही  बर्बादी का जिम्मेदार क्यों है कुछ तो कर

 ऐ मेरे लख्ते जिगर बेकार क्यों है कुछ तो कर

   धूप से पीछा छुड़ा साए में आकर बैठ जा
 जिंदगी भर के लिए दौलत कमा कर बैठ जा

 बैंक से तू कर्ज ले ले और दबा कर बैठ जा 

या किसी जरदार के चूना लगाकर बैठ जा 

अपने दादा की तरह नादार  क्यों है कुछ तो कर

 ए मेरे लख्ते जिगर बेकार क्यों है कुछ तो कर

                                 डॉ पापुलर मेरठी 

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